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    मारवाड़ के राठौड़ वंश (भाग-2)

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    Rajat Kansal

    🛡️ मारवाड़ के राठौड़ वंश 🛡️

    👑 जसबंत सिंह प्रथम (1638-78 ई.)

    🌟 राज्याभिषेक और शासन की शुरुआत:


    • 📅 25 मई, 1638 ई.: मुगल सम्राट शाहजहाँ ने जसवंत सिंह को खिलअत, जड़ाऊ मजधर और टीका देकर मारवाड़ का शासक घोषित किया।
    • 🏹 उन्हें 4000 जात और 4000 सबार का मनसब दिया गया।
    • 🏰 राज्याभिषेक आगरा में हुआ।
    • 👑 30 अप्रैल, 1640 ई.: जोधपुर की गद्दी संभाली।

    🌟 उपाधियाँ और मान्यता:


    • 🏆 1655 ई.: शाहजहाँ ने जसवंत सिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि दी।

    ⚔️ महत्वपूर्ण युद्ध और घटनाएँ:


    • 🗡️ धरमत का युद्ध (15 अप्रैल, 1658 ई.):

      • 🏞️ स्थान: उज्जैन, मध्यप्रदेश।
      • 👑 जसवंत सिंह ने दारा शिकोह का साथ दिया।
      • 🛡️ युद्ध में औरंगजेब विजयी रहा, लेकिन जसवंत सिंह को सम्मानित किया गया।


    • ⚔️ खजुआ का युद्ध (5 जनवरी, 1659):

      • 🏹 जसवंत सिंह ने शाही मुगल शिविर को लूट लिया।
      • 🌟 इस युद्ध में औरंगजेब विजयी रहा।


    • ⚔️ दौराई का युद्ध (14 मार्च, 1659):

      • 🏔️ स्थान: अजमेर के निकट।
      • 🔥 औरंगजेब और दारा शिकोह के बीच युद्ध, जिसमें औरंगजेब विजयी रहा।
      • 🤝 आमेर के जयसिंह प्रथम के प्रयासों से जसवंत सिंह और औरंगजेब का मनमुटाव कम हुआ।


    • 🛡️ गुजरात का सूबेदार:

      • 📅 1659 ई.: महाराजा जसवंत सिंह को गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया।


    • 🛡️ मराठों के खिलाफ नियुक्ति:

      • 🌟 1662 ई.: जसवंत सिंह को मराठों के खिलाफ शाइस्ता खाँ की सहायता के लिए नियुक्त किया गया।


    • 🛡️ कंधार अभियान (1673):

      • 🏞️ जसवंत सिंह को कंधार अभियान के लिए नियुक्त किया गया।



    ⚰️ मृत्यु और औरंगजेब का कथन:


    • 📅 28 नवम्बर, 1678: जसवंत सिंह की मृत्यु अफगानिस्तान के जमरूद नामक स्थान पर हुई।
    • 🔥 उनकी मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा:
      “आज कुफ्र (धर्म विरोधी) का दरवाजा टूट गया।”

    📚 लेखन और योगदान:


    • 📖 जसवंत सिंह ने ‘सिद्धांत बोध,’ ‘आनंद बिलास,’ और ‘भाषा भूषण’ जैसी पुस्तकें लिखीं।

    🚩 महत्वपूर्ण तथ्य:


    • 🏰 1679 ई.: जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने मारवाड़ राज्य को खालसा घोषित कर दिया।
    • 👑 औरंगजेब ने इन्द्रसिंह को मारवाड़ का शासक नियुक्त किया।
    • 🦁 मारवाड़ के शाही घराने से अमरसिंह राठौड़ 17वीं शताब्दी में शाहजहाँ के दरबारी के रूप में प्रसिद्ध थे।

    🦁 अजीत सिंह (1678-1724 ई.) & दुर्गादास राठौड़

    🌟 परिवार और बचपन:


    • 🏹 अजीत सिंह, जसवंत सिंह प्रथम का पुत्र था।
    • 🎭 गोराधाय ने 1679 में मेहतरानी का वेश धारण कर अजीत सिंह को सुरक्षित किया।
    • 🛡️ अजीत सिंह को कालबेलिया बने मुकुंददास खींची को सौंपा गया, जिन्होंने इन्हें दिल्ली से निकालकर सिरोही राज्य के कालिन्द्री मंदिर में छिपाया।
    • 🏡 जयदेव नामक ब्राह्मण के घर पर अजीत सिंह की परवरिश हुई।
    • 🤝 मेवाड़ महाराणा राजसिंह सिसोदिया ने उनकी सहायता की।

    🌟 राजनीतिक और सामाजिक घटनाएँ:


    • 📜 इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने अजीत सिंह को ‘कान का कच्चा’ कहा।
    • 💍 अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इन्द्र कुमारी का विवाह फर्रुखशियर के साथ किया।

    🌟 पुत्र और विवाद:


    • 🏹 अजीत सिंह के दो पुत्र थे: अभयसिंह (बड़ा) और बख्तसिंह (छोटा)।
    • ⚔️ छोटे पुत्र बख्तसिंह ने सोते समय अजीत सिंह की हत्या कर दी, जिससे बख्तसिंह को ‘मारवाड़ का दूसरा पितृहंता’ कहा गया।

    🌟 साहित्य और स्थापत्य:


    • 📚 अजीत सिंह ने कई ग्रंथों की रचना की:

      • 🛡️ अजीतचरित्र, गुणसागर, निर्वाण दुहा, दुर्गापाठ भाषा, गज उद्धार।


    • 🏰 स्थापत्य में योगदान:

      • 🏞️ जसवंतसिंह रा थड़ा (मण्डौर)।
      • ⚔️ फतहमहल (जोधपुर)।
      • 🏯 घनश्यामजी का मंदिर (जोधपुर)।



    🌟 महत्वपूर्ण युद्ध और घटनाएँ:


    • ⚔️ 25 जनवरी, 1680:

      • 🌺 मेवाड़ और मारवाड़ की संयुक्त सेनाओं को देबारी (उदयपुर) में औरंगजेब ने पराजित किया।



    🛡️ दुर्गादास राठौड़ का नेतृत्व:


    • 🏆 दुर्गादास राठौड़ को ‘मारवाड़ का चाणक्य,’ ‘अण बिन्दिया मोती,’ और ‘राठौड़ों का यूलिसैस’ कहा जाता है।
    • 👑 1707 ई. में दुर्गादास राठौड़ के नेतृत्व में अजीत सिंह को राजा बनाने के लिए मुगलों के खिलाफ लंबा संघर्ष हुआ।
    • 🏰 1707 ई.: अजीत सिंह ने जोधपुर पर अधिकार कर लिया।
    • 🌟 अजीत सिंह ने राजा बनने के बाद दुर्गादास राठौड़ को राज्य से निष्कासित कर दिया।
    • 🏔️ मारवाड़ से निष्कासन के बाद दुर्गादास को मेवाड़ शासक अमरसिंह द्वितीय ने विजयपुर की जागीर दी और बाद में उन्हें रामपुरा का हाकिम नियुक्त किया।

    🌟 उपाधि:


    • 🛕 इन्हें ‘संन्यासी राजा’ कहा जाता है।
    • 🙏 इनके राजगुरु गोरखनाथ सम्प्रदाय के आयस देवनाथ थे।

    📚 साहित्य और स्थापत्य:


    • 🏰 इन्होंने जोधपुर में महामन्दिर (नाथ सम्प्रदाय की मुख्य पीठ) बनवाया।
    • 📖 जोधपुर किले में ‘पुस्तक प्रकाश’ पुस्तकालय की स्थापना की।
    • ✍️ इनके दरबारी कवि बांकीदास थे।

    ⚔️ गींगोली का युद्ध (1807):


    • 🗡️ यह युद्ध जोधपुर के महाराजा मानसिंह और जयपुर के महाराजा जगतसिंह द्वितीय के बीच कृष्णा कुमारी के कारण हुआ।
    • 🗺️ स्थान: गींगोली (परबतसर, डीडवाना-कुचामन)।
    • 🏆 परिणाम: जयपुर के जगतसिंह द्वितीय की विजय।

    🤝 संधि:


    • 📅 6 जनवरी, 1818: इन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि की।

    🌸 सन्यास:


    • 🕊️ संधि के बाद महाराजा मानसिंह ने सन्यास ले लिया।

    🛕 महाराजा तख्तसिंह (1843-73 ई.)

    🌟 गद्दी पर बैठना:


    • 👑 महाराजा मानसिंह के कोई उत्तराधिकारी न होने के कारण ब्रिटिश सरकार की अनुमति से तख्तसिंह को गोद लिया गया।
    • 🎉 दिसम्बर 1843: जोधपुर में तख्तसिंह का राज्याभिषेक हुआ।
    • 🤝 इस अवसर पर पालिटिकल एजेंट लॉर्ड लुडलो भी उपस्थित हुआ।

    ⚔️ नाथों के विद्रोह का दमन:


    • 🛡️ सिंहासन पर बैठते ही तख्तसिंह ने नाथों के विद्रोह को शांत किया।

    ⚔️ 1857 की क्रांति में भूमिका:


    • 🤝 तख्तसिंह ने अंग्रेजों की मदद की।
    • 🛡️ एरिनपुरा छावनी के विद्रोही सैनिकों के आउवा पहुँचने पर तख्तसिंह ने बिथौड़ा अपनी सेना भेजी।
    • ⚔️ 8 सितम्बर, 1857: बिथौड़ा के युद्ध में सेनानायक ओनाड़िसिंह और राजमल मारे गए।

    🌸 सामाजिक सुधार:


    • ✋ तख्तसिंह ने राजपूत जाति में कन्यावध को रोकने के लिए कठोर आदेश जारी किए।
    • 🪨 इन आदेशों को पत्थरों पर खुदवाकर मारवाड़ के सभी किलों पर लगवाया।

    🧂 नमक संधि (1870):


    • 🤝 अंग्रेजों ने जोधपुर राज्य के साथ नमक संधि की।
    • 🏞️ इसके तहत जोधपुर ने नावां और नोख के नमक उत्पादन केंद्र ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिए।

    🌍 महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय (1873-95 ई.)

    🌟 अंग्रेजों के प्रति समर्थन:


    • 🤝 महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय पूर्णतः अंग्रेजों के समर्थक थे।
    • 🎉 1875 ई.: इन्होंने कलकत्ता दरबार में भाग लिया।
    • 🏰 1877 ई.: इन्होंने दिल्ली दरबार में भाग लिया।
    • 🧂 1879 ई.: अंग्रेजों के साथ पुनः नमक समझौता किया।
    • 🌟 1887 ई.: अपने प्रधानमंत्री सर प्रतापसिंह को महारानी विक्टोरिया के स्वर्ण जुबली उत्सव (50 वर्ष) में भाग लेने हेतु लंदन भेजा।

    📊 प्रशासनिक सुधार और सामाजिक कार्य:


    • 🧾 1881 ई.: जोधपुर राज्य की पहली जनगणना कराई।
    • 🏛️ 1884 ई.: जोधपुर में नगरपालिका की स्थापना हुई।
    • 🌸 1885 ई.: राज्य में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाया।

    📜 आर्य समाज का योगदान और महर्षि दयानंद सरस्वती:


    • 1883 ई.: प्रधानमंत्री सर प्रतापसिंह के निमंत्रण पर महर्षि दयानंद सरस्वती जोधपुर आए।
    • 📖 आर्य समाज की स्थापना महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के शासनकाल में हुई।
    • ⚡ महर्षि दयानंद सरस्वती ने महाराजा की कामुकता और नन्हीं जान की पालकी उठाने की घटना पर उन्हें धिक्कारा।
    • 🐍 महाराजा की प्रेमिका नन्हीं जान ने क्रोधित होकर गौड़ मिश्रा (महाराजा के रसोईये) के साथ मिलकर स्वामीजी के दूध में विष मिला दिया।
    • 🏛️ स्वामीजी अजमेर गए और 30 अक्टूबर, 1883 ई. को उनकी मृत्यु हो गई।

    🏇 महाराजा सरदार सिंह (1895-1911 ई.)


    • 🌍 पोलो खेल और उपलब्धियाँ:

      • 🏇 जोधपुर को इनके शासनकाल में पोलो खेल का घर कहा जाता था।
      • 🏆 सरदार सिंह ने पूना में पोलो चैलेंज कप जीता।


    • ⚔️ चीन के बॉक्सर युन्ध विद्रोह में भूमिका:

      • 🛡️ 1899-1901 ई.: अंग्रेजों की सहायतार्थ मारवाड़ी सेना भेजी।
      • 🏅 इस सेवा के परिणामस्वरूप मारवाड़ के झंडे पर “चाईना 1900” लिखने का सम्मान मिला।


    • 📜 सुधार और संस्थान:

      • 🛠️ चोरी का माल मिलने पर चौथाई हिस्सा लेने की प्रथा समाप्त की।
      • 🎗️ 1910 ई.: एडवर्ड रिलीफ फंड की स्थापना की।
      • 📖 बौद्धिक रिसर्च सेंटर (डिंगल साहित्य के विकास के लिए) की स्थापना की।



    🏞️ महाराजा सुमेरसिंह (1911-18 ई.)


    • 🌍 राजकीय समारोह और दरबार:

      • 👑 1911 ई.: लंदन में जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण समारोह में भाग लिया।
      • 🏛️ 1911 ई.: दिल्ली दरबार में भी शामिल हुए।


    • ⚔️ प्रथम विश्वयुद्ध में भूमिका:

      • 🛡️ अंग्रेजों की सहायता करते हुए स्वयं सर प्रतापसिंह और जोधपुर लांसर्स के साथ युद्ध क्षेत्र में गए।
      • 🐪 इनके शासनकाल में सुमेर कैमल कोर की स्थापना की गई।



    🏰 महाराजा उम्मेदसिंह (1918-47 ई.)


    • 🌍 प्रशासनिक और सामाजिक योगदान:

      • 🏛️ 8 फरवरी, 1921 ई.: दिल्ली में गठित नरेन्द्र मंडल के सदस्य बने।
      • 🏰 18 नवम्बर, 1929 ई.: छीतर पहाड़ी पर उम्मेद भवन पैलेस की नींव रखी।
      • 📝 जयनारायण व्यास को मारवाड़ की ओर से संविधान सभा का प्रतिनिधि नियुक्त किया।
      • ⚰️ 9 जून, 1947 ई.: माउंट आबू में निधन।



    ✍️ महाराजा हनुवंतसिंह (1947-49 ई.)


    • 🌍 स्वतंत्रता और जोधपुर का विलय:

      • 🛡️ भारत की स्वतंत्रता के समय जोधपुर के शासक थे।
      • ✍️ राठौड़ वंश के अंतिम शासक के रूप में जाने जाते हैं।
      • 🤝 इन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर जोधपुर को पाकिस्तान में मिलाने का प्रयास किया।
      • 🏛️ 1949 ई.: सरदार पटेल और माउंटबेटन के प्रयासों से जोधपुर का विलय वृहत राजस्थान में कर दिया गया।



    महत्वपूर्ण युद्ध और घटनाएँ

     पाहोबा का युद्ध (साहेबा का युद्ध)


    • तिथि: 26 फरवरी, 1542 ई.
    • स्थान: पाहोबा, पाली के पास
    • प्रतिद्वंद्वी: राव मालदेव बनाम राव जैतसी (बीकानेर)
    • पृष्ठभूमि:

      • राव जैतसी ने राव मालदेव के बढ़ते प्रभाव को रोकने का प्रयास किया।
      • यह युद्ध क्षेत्रीय प्रभुत्व और राजनीतिक वर्चस्व के लिए लड़ा गया।


    • परिणाम:

      • राव मालदेव की सेना ने राव जैतसी को पराजित किया।



    गिरी सुमेल का युद्ध


    • तिथि: 5 जनवरी, 1544 ई.
    • स्थान: जैतारण, ब्यावर (पाली)
    • प्रतिद्वंद्वी: राव मालदेव बनाम शेरशाह सूरी
    • पृष्ठभूमि:

      • शेरशाह सूरी ने मारवाड़ के विशाल क्षेत्र पर अधिकार करने का प्रयास किया।
      • राव मालदेव की सेनाओं की वीरता ने शेरशाह को चिंतित कर दिया।


    • घटना:

      • शेरशाह ने सामंत वीरमदेव और बीकानेर के राव कल्याणमल को अपनी ओर कर लिया।
      • शेरशाह ने छल से युद्ध जीतने की योजना बनाई।


    • परिणाम:

      • शेरशाह ने बड़ी मुश्किल से जीत हासिल की।
      • उद्धरण: “एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।”



    धरमत का युद्ध


    • तिथि: 15 अप्रैल, 1658 ई.
    • स्थान: धरमत, उज्जैन (मध्यप्रदेश)
    • प्रतिद्वंद्वी: महाराजा जसवंत सिंह बनाम औरंगजेब और मुराद बख्श
    • पृष्ठभूमि:

      • शाहजहाँ के उत्तराधिकार के संघर्ष के दौरान दारा शिकोह ने जसवंत सिंह से समर्थन मांगा।


    • घटना:

      • जसवंत सिंह ने अपनी सेना के साथ दारा शिकोह का साथ दिया।
      • औरंगजेब और मुराद बख्श ने संयुक्त सेना के साथ हमला किया।


    • परिणाम:

      • औरंगजेब विजयी हुआ, लेकिन जसवंत सिंह की वीरता प्रशंसनीय रही।



    खजुआ का युद्ध


    • तिथि: 5 जनवरी, 1659 ई.
    • स्थान: खजुआ, उत्तर प्रदेश
    • प्रतिद्वंद्वी: महाराजा जसवंत सिंह बनाम औरंगजेब
    • पृष्ठभूमि:

      • दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच संघर्ष जारी था।


    • घटना:

      • जसवंत सिंह ने औरंगजेब के शिविर पर हमला कर शाही शिविर को लूट लिया।
      • युद्ध में औरंगजेब विजयी हुआ।



    दौराई का युद्ध


    • तिथि: 14 मार्च, 1659 ई.
    • स्थान: दौराई, अजमेर के पास
    • प्रतिद्वंद्वी: दारा शिकोह बनाम औरंगजेब
    • पृष्ठभूमि:

      • यह शाहजहाँ के उत्तराधिकार के लिए निर्णायक युद्ध था।


    • घटना:

      • दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच सीधा संघर्ष हुआ।
      • जसवंत सिंह ने इस युद्ध में तटस्थता बनाए रखी।


    • परिणाम: – औरंगजेब ने दारा शिकोह को पराजित किया।

    गींगोली का युद्ध (1807)


    • स्थान: गींगोली (परबतसर, डीडवाना-कुचामन)
    • प्रमुख व्यक्ति: महाराजा मानसिंह बनाम जयपुर के महाराजा जगतसिंह द्वितीय
    • कारण: कृष्णा कुमारी के विवाह विवाद
    • परिणाम: जयपुर के जगतसिंह द्वितीय की विजय।
    • महत्व: इस युद्ध ने राजपूत राज्यों के आंतरिक संघर्ष को दिखाया।

    मारवाड़ के मुगल शासकों से संबंध

    विवाह और राजनीतिक गठबंधन 🤝💍


    • राव उदयसिंह (1583-95):

      • मारवाड़ के पहले शासक जिन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
      • उनकी पुत्री मानबाई का विवाह सलीम (जहाँगीर) से हुआ, जिससे शाहजहाँ का जन्म हुआ।


    • राणा जसवंतसिंह (1638-78):

      • शाहजहाँ ने उन्हें “महाराजा” की उपाधि दी।
      • उन्होंने दारा शिकोह का समर्थन किया, जिससे औरंगजेब के साथ टकराव हुआ।



    युद्ध और संघर्ष ⚔️🔥


    • राव चन्द्रसेन (1562-81):

      • अकबर की अधीनता अस्वीकार की और जीवनभर संघर्ष किया।
      • अकबर ने 1572 में जोधपुर का प्रशासन रायसिंह (बीकानेर) को सौंपा।


    • धरमत का युद्ध (1658):

      • महाराजा जसवंतसिंह ने दारा शिकोह का साथ दिया लेकिन औरंगजेब विजयी रहा।


    • खजुआ का युद्ध (1659):

      • जसवंतसिंह ने शाही शिविर पर हमला किया, लेकिन औरंगजेब से हार गए।



    प्रशासनिक संबंध 🛡️📜


    • गुजरात का सूबेदार (1659):

      • जसवंतसिंह को मुगलों ने गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया।


    • कंधार अभियान (1673):

      • जसवंतसिंह ने मुगल सेना का नेतृत्व किया।



    सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव 🌟📖


    • मुगलों के साथ गठजोड़ ने मारवाड़ को सांस्कृतिक और स्थापत्य क्षेत्र में उन्नत किया।
    • साहित्य और कला का विकास मुगल संस्कृति से प्रेरित था।

    अजीत सिंह और मुगलों से विद्रोह 🦁🔥


    • राणा अजीतसिंह (1678-1724):

      • औरंगजेब के साथ लंबे संघर्ष के बाद मारवाड़ को स्वतंत्र किया।
      • उनकी बेटी का विवाह मुगल सम्राट फर्रुखशियर से हुआ, लेकिन उन्होंने मुगलों के प्रति कड़ा रुख बनाए रखा।



    🏯 प्रमुख निर्माण और स्थापत्य

    मेहरानगढ़ दुर्ग और अन्य दुर्ग


    • मेहरानगढ़ दुर्ग:

      • स्थान: जोधपुर।
      • निर्माण: राव जोधा ने 1459 ई. में चिड़िया टूंक पहाड़ी पर किया।
      • विशेषता: राजस्थान के सबसे बड़े और मजबूत किलों में से एक।


    • अन्य दुर्ग:

      • सिवाना दुर्ग: संकट के समय राजधानी।
      • मंडौर दुर्ग: प्राचीन राजधानी।



    सोजत दुर्ग, पोकरण दुर्ग, और मालकोट किला


    • सोजत दुर्ग (पाली):

      • निर्माण: राव मालदेव।
      • विशेषता: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण।


    • पोकरण दुर्ग (जैसलमेर):

      • निर्माण: व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए।
      • विशेषता: सुंदर स्थापत्य और मजबूत सुरक्षा दीवारें।


    • मालकोट किला (मेड़ता, नागौर):

      • निर्माण: राव मालदेव।
      • विशेषता: वंशीय शाखा की गतिविधियों का केंद्र।



    उम्मेद भवन पैलेस


    • स्थान: जोधपुर।
    • निर्माण: महाराजा उम्मेद सिंह ने 1929 ई. में छीतर पहाड़ी पर नींव रखी।
    • विशेषता:

      • आधुनिक स्थापत्य का उत्कृष्ट नमूना।
      • वर्तमान में एक भाग को होटल और संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाता है।
      • एकमात्र राजमहल जो अकाल राहत योजना के अंतर्गत बनाया गया।