🛡️ मारवाड़ के राठौड़ वंश 🛡️
- 📜 राठौड़ शब्द की उत्पत्ति: संस्कृत के ‘राष्ट्रकूट’ शब्द से।
- 🏰 संकटकालीन राजधानी: सिवाना दुर्ग (बालोतरा, बाड़मेर)।
- ⚔️ स्वतंत्रता का प्रयास: औरंगजेब की मृत्यु तक अपने को स्वतंत्र रखने वाला प्रमुख राजपूत राज्य मारवाड़ रहा ।
- 👑 राजवी सामंत: राजा के निकट संबंधी, जिन्हें तीन पीढ़ियों तक चाकरी और रेख देने से मुक्ति।
- 🏅 सामंतों की श्रेणियाँ:
- 🌟 राजवी सामंत
- ⚔️ सरदार
- 📜 मुत्सदी
- 🛡️ सियारत
- 🏵️ गनायत
- 🏵️ सिरोपाव परंपरा: वीरता, साहित्य और सेवा के लिए दिया जाता था।
- 🐘 सर्वोच्च सम्मान: हाथी सिरोपाव।
- 💬 कर्नल टॉड का कथन:
- “मुगल बादशाह अपनी विजयों में से आधी के लिए राठौड़ों की एक लाख तलवारों के अहसानमंद थे।”
प्रमुख शासक
🏹 रावसीहा (1240-73 ई.)
- 🛡️ संस्थापक: मारवाड़ के राठौड़ वंश की स्थापना।
- 🌟 उपाधि: “मारवाड़ के राठौड़ों का संस्थापक/मूल पुरुष/आदि पुरुष।”
- पाली क्षेत्र में शासन किया।
- सिंध के मुस्लिम लुटेरों से युद्ध करते हुए मृत्यु।
- इनके समकालीन लोकदेवता पाबूजी थे।
- राव अस्थाना (1273 to 1291)
- राव दूहद (1291 to 1309 )
- राव रायमल
- राव तीड़ा
- राव मल्लीनाथ
⚔️ राव चूड़ा (1394-1423 ई.)
- 🗡️ पिता: वीरमदेव।
- मल्लिनाथ जी ने इनका पालन पोषण किया।
- मारवाड़ का वास्तविक संस्थापक
- 🏰 प्रथम प्रतापी शासक: मारवाड़ के राठौड़ों में।
- इन्होंने मंडोर और नागौर को जीता।
- 💍 विवाह: प्रतिहारों की इन्दा शाखा के राजा की पुत्री किशोर कुँवरी से।
- 🎁 दहेज: मण्डौर दुर्ग, जिसे अपनी राजधानी बनाया।
🐾 कान्हा (1423-27 ई.)
- 🌟 माता: चूड़ा की छोटी मोहिलाणी रानी किशोर कुँवरी।
- 🏅 उत्तराधिकारी: चूड़ा ने उसे राजा बनाया, हालांकि वह उत्तराधिकारी नहीं था।
🛡️ रणमल (1427-38 ई.)
- 🌟 माता: चूड़ा की पटरानी सोनगरी रानी चाँद काँवर।
- 🏹 राणा लाखा की शरण: जब राजा नहीं बनाया गया तो मेवाड़ के राणा लक्षसिंह की शरण में गया।
- 🎖️ जागीर: मेवाड़ में ‘धणला’ की जागीर प्राप्त की।
- 👸 हंसाबाई का विवाह:
- 💍 सशर्त विवाह: राणा लाखा से (शर्त – हंसाबाई का उत्तराधिकारी मेवाड़ का शासक बने)।
- 🏆 राजा बना: मेवाड़ के मोकल (भाँजा) की सहायता से कान्हा को हराकर।
- 💔 हत्या:
- ⚔️ ख्यातों के अनुसार: मेवाड़ी सरदारों द्वारा।
- 🍷 अन्य मत: रणमल की प्रेमिका भारमली ने शराब में विष मिलाकर हत्या की।
👑 राव जोधा (1438-89 ई.)
- 👑 पिता: राव रणमल
- 🌸 माता: कोड़मदे
- हड़बुज़ी की सहायता से 1453 में मंडोर को पुनः प्राप्त किया। हड़बुज़ी को जागीर में बेंगती गांव दिया।
- 🏰 स्थापना:
- 📅 12 मई, 1459 ई. को जोधपुर नगर की स्थापना की।
- ⛰️ चिड़िया टूंक पहाड़ी पर मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण कराया।
- 🏙️ जोधपुर को अपनी राजधानी बनाया।
- ⚔️ संघर्ष:
- 🗡️ मण्डौर के सिंहासन के लिए राणा कुंभा से भयंकर लड़ाई लड़ी।
- दिल्ली के बहलोल लोधी की सेना को हराया ।
- राणीसर तालाब का निर्माण राव जोधा की रानी जसमादे ने करवाया।
# राव सातल ने कोसना युद्ध (1492) में घुड़ला ख़ान को हराया। इसकी स्मृति में चैत्र कृष्ण अष्टमी को घुड़ला त्योहार मनाया जाता है।
इनकी रानी फ़ुलादे भटियानी ने फुलेलाब तालाब बनाया।
🌿 राठौड़ वंश की मेड़तिया शाखा:
- 🌟 संस्थापक: राव दूदा। #🌾 राव दूदा: राव जोधा के पुत्र।
- 🏡 मेड़ता नामक गाँव में निवास के कारण इन्हें मेड़तिया राठौड़ कहा गया।
- 🎯 इन्हें दूदावत राठौड़ भी कहा जाता है।
🌄 राव गांगा (1515-32 ई.)
- ⚔️ 1527 का खानवा युद्ध:
- 🛡️ अपने पुत्र मालदेव के साथ राणा साँगा की सहायता की।
- 💍 कारण: राणा साँगा की पुत्री पद्मावती इनकी पत्नी थीं।
- ❌ हत्या:
- 🗡️ इनके पुत्र मालदेव ने इन्हें महल की खिड़की से गिराकर हत्या कर दी।
- ⚰️ इस कारण मालदेव को ‘मारवाड़ का पितृहन्ता’ कहा गया।
🌠 राव मालदेव (1532-62 ई.)
👶 जन्म:
- 📅 5 दिसम्बर, 1511 को जन्म।
- 👑 पिता: राव गांगा।
⚔️ सिंहासन पर आरूढ़:
- 🛡️ 21 मई, 1532 को जोधपुर के सिंहासन पर बैठे।
- 📍 राज्याभिषेक सोजत (पाली) में हुआ।
- 🗡️ अपने पिता की हत्या कर सत्ता प्राप्त की।
📜 इतिहासकारों की दृष्टि में:
- 🌟 फारसी इतिहासकारों (अबुल फजल, बदायूँनी और निजामुद्दीन) ने इन्हें ‘हशमत वाला शासक’ कहा।
- 🏹 फरिश्ता और बदायूँनी खाँ ने इन्हें ‘भारत का महान पुरुषार्थी राजकुमार’ कहा।
- 🌠 मारवाड़ की ख्यातों के अनुसार, यह मारवाड़ के सबसे योग्य और प्रतापी शासक थे।
- 🏆 इन्हें 52 युद्धों के नायक और 58 परगनों के अधिपति के रूप में सम्मानित किया गया।
⚔️ महत्वपूर्ण युद्ध:
- 🗡️ पाहोबा/साहेबा का युद्ध (26 फरवरी, 1542):
- 🏹 बीकानेर के राव जैतसी को पराजित किया।
- 🛡️ गिरी सुमेल का युद्ध (5 जनवरी, 1544):
- 🏔️ स्थान: जैतारण, ब्यावर (पूर्व पाली)।
- ⚔️ प्रतिद्वंदी: शेरशाह सूरी।
- 🔥 शेरशाह सूरी ने बड़ी मुश्किल से मालदेव की सेना को हराया।
- 📜 फरिश्ता के अनुसार, शेरशाह ने कहा:
“एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।” - 🏃 मालदेव बिना लड़े युद्ध क्षेत्र से प्रस्थान कर गए।
- 🗡️ इस युद्ध में मालदेव के वीर सेनानायक जैता और कूँपा शहीद हो गए।
- 🤝 बीकानेर के राव कल्याणमल और मालदेव के पूर्व सामंत वीरमदेव ने शेरशाह सूरी की सहायता की।
💍 विवाह और ‘रूठी रानी’:
- 💒 राव मालदेव का विवाह जैसलमेर के राव लूणकरण की पुत्री उमादे के साथ हुआ।
- 🌸 उमादे:
- 🌺 इतिहास में इन्हें ‘रूठी रानी’ कहा जाता है।
- 🕊️ मान-सम्मान के कारण जीवनभर मालदेव से नाराज रहीं।
- 🏰 अजमेर के तारागढ़ दुर्ग में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया।
- 🔥 राव मालदेव के निधन के बाद सती हो गईं।
🏰 दुर्ग निर्माण में योगदान:
- 🏯 सोजत दुर्ग (पाली),
- पोकरण दुर्ग (जैसलमेर),
- मालकोट किला (मेड़ता नागौर),
- शेरगढ़ दुर्ग (धौलपुर)।
📌 विशेष जानकारी:
- ⚔️ चौसा का युद्ध: शेरशाह सूरी और हुमायूँ के बीच हुआ।
- जोधपुर चित्रकला और संस्कृति में नया परिवेश दिया।
- मालदेव की रानी स्वरूप दे ने बहुजी रो तालाब का निर्माण मडोर के निकट कराया।
🦁 राव चन्द्रसेन (1562-81 ई.)
👶 जन्म और परिवार
- 📅 जन्म: 16 जुलाई, 1541
- 👑 पिता: राव मालदेव
- 🌟 उत्तराधिकारी: राव मालदेव ने अपने तीन पुत्रों रामसिंह, उदयसिंह और चन्द्रसेन में से चन्द्रसेन को उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
🛡️ सिंहासन पर आरूढ़
- 📅 31 दिसम्बर, 1562: राव चन्द्रसेन ने जोधपुर की गद्दी संभाली।
- 🏰 राज्याभिषेक: जोधपुर का शासक बनने के बाद सत्ता संघर्ष की शुरुआत।
⚔️ अकबर के साथ संघर्ष
- 🗡️ 1564 में:
- 🔥चन्द्रसेन के भाई रामसिंह ने अकबर के दरबार में चन्द्रसेन के खिलाफ सहायता मांगी।
- 📜 3 नवम्बर, 1570:
- ✨ अकबर ने नागौर दरबार आयोजित किया।
- 🌺 चन्द्रसेन ने नागौर जाकर अकबर की अधीनता अस्वीकार की और वापस जोधपुर लौट गए।
- 🔥 अकबर का आक्रमण:
- 🏔️ नाराज होकर अकबर ने हुसैन कुली खाँ को जोधपुर पर आक्रमण के लिए भेजा।
- 🏹 चन्द्रसेन जोधपुर से भागकर भद्राजूण (जालौर) चले गए।
- 📍 1571 में भद्राजूण छोड़कर सिवाणा (बालोतरा) की ओर प्रस्थान किया।
- 🏰 जोधपुर का प्रशासन:
- 📅 30 अक्टूबर, 1572: अकबर ने जोधपुर का प्रशासन बीकानेर के रायसिंह को सौंपा।
- 📜 1574 में: विद्रोह दबाने के लिए अकबर ने रायसिंह को चन्द्रसेन के खिलाफ भेजा।
🌟 उपाधियाँ और विशेषताएँ
- 🛡️ जीवनभर अकबर की अधीनता अस्वीकार की।
- 🌠 इन्हें ‘मारवाड़ का प्रताप,’ ‘प्रताप का अग्रगामी,’ ‘मारवाड़ का भूला-बिसरा राजा,’ ‘विस्मृत नायक’ जैसे नामों से जाना जाता है।
- 🔥 अकबर का आजीवन प्रतिरोध करने वाले प्रथम राजस्थानी शासक थे।
⚰️ मृत्यु और समाधि
- 📅 मृत्यु: 11 जनवरी, 1581
- 🏔️ स्थान: सोजत दुर्ग (पाली) के पास सारण के पहाड़ों में ‘संचियाप’ नामक स्थान।
- 🌳 यहाँ पर उनकी समाधि बनाई गई है।
🏰 जोधपुर राज्य का खालसा
- 📅 1581-1583:
- 🏯 राव चन्द्रसेन की मृत्यु के बाद जोधपुर राज्य तीन वर्ष तक खालसा रहा।
- 📜 1583 में: अकबर ने उदयसिंह को मारवाड़ राज्य का अधिकार खिलअत और खिताब सहित सौंपा।
🏞️ राव उदयसिंह (1583-95 ई.)
🌟 उपाधि:
- 🛡️ इन्हें ‘मोटा राजा’ कहा जाता है।
💍 पुत्री का विवाह:
- 💖 मानबाई/ भानमती/ जगतगोंसाई/ मल्लिका -ए-जहाँ की शादी 1587 ई. में सलीम/जहाँगीर से हुई।
- 👶 इस विवाह से खुर्रम (शाहजहाँ) का जन्म हुआ।
🏹 मुगलों की अधीनता:
- 🤝 उदयसिंह मारवाड़ के प्रथम शासक थे, जिन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
- 💍 इन्होंने मुगलों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
👑 महत्वपूर्ण तथ्य
🌟 राजकीय सम्मान:
- 🏆 1605 ई.: अकबर ने राजा सूरसिंह को ‘सवाई राजा’ की उपाधि दी।
🏰 महाराजा गजसिंह प्रथम (1619-1638)
- 📅 कार्यकाल: 1619 से 1638 तक जोधपुर के महाराजा रहे।
- 🏆 पदवी:
- 🏔️ मुगल सम्राट जहांगीर ने इन्हें ‘दलथम्भन’ (फौज को रोकने वाला) की उपाधि दी।
- ⚔️ उपलब्धि:
- 🌟 यह उपाधि दक्षिण भारत में मलिक अम्बर की सेनाओं पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में दी गई।